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करीब कौन दिल के

करीब कौन दिल के

 करीब  कौन है दिल के
        बता जरा
   कौन हमारा हुआ
    नकाब उतरते देख
       बुरे वक्त में
आया समझ ढलती उम्र में
          ढूंढ लेते हैं
    इस्तेमाल करने वाले
 खुशबू भी चुभती है
        कभी कभार
           देखता हूं
नन्हे फूल नन्ही कलियां
   बिकती है बाजार में
किसी अपने की बात का
 हुआ गहरा असर आज
            यूं लगा
 हम किसी काबिल ना रहे
          हंसना पड़ा
          सोचकर ये
      लाश कहा रोती है
 करीब है कौन है दिल के
      ए दिल बता जरा
      ए दिल बता जरा

 मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 87726

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5 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 06:53 AM

👏👌

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Varsha_Upadhyay

29-Jun-2023 06:04 PM

बहुत खूब

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Abhilasha Deshpande

29-Jun-2023 05:08 PM

अद्वितीय रचना आदरणीय

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